बारां जिले के किशनगंज व शाहबाद क्षेत्र के मामोनी में कार्यरत संकल्प सोसायटी द्वारा आदिवासी
समुदाय के बालक बालिकाओं के लिए शिक्षा के क्षेत्र में एक और नवाचार किया है। इसको लेकर
कोटा में एक मीटिंग आयोजित की गयी थी | जिसमे प्रज्ञा व फ़िरोज़ खान था महेश बिंदल उपस्थित
थे । बैठक में प्रज्ञा द्वारा सुझाव रखा गया कि मामोनी में आदिवासी छोटे छोटे बच्चो के लिए प्ले स्कूल
चलाया जाए जिससे बच्चों में नयी टेक्नोलॉजी सामने आए । इस सुझाव के बाद यह तय हुआ कि प्ले
स्कूल में क्या क्या सुविधा हो और सामग्री किस तरह की हो इसके लिए प्रज्ञा ने खुद जिम्मेदारी ली
और संचालित करने की जिम्मेदारी फ़िरोज़ खान की होगी । यह तय होने पर संकल्प सोसायटी के
सचिव महेश जी बिंदल ने भी प्रज्ञा के इस नवाचार पर अपनी सहमति दी । उसके बाद इसी कड़ी में
जुलाई माह-2019 से प्ले स्कूल की शुरूआत की है। इस स्कूल को प्रज्ञा व फ़िरोज़ खान दोनों
मिलकर संचालित कर रहे है । पूर्व में भी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में शिक्षा के क्षेत्र में रात्रि स्कूल चलाये
गए थे । वही शिक्षा कर्मी स्कूल भी संकल्प की देन है | आज 300 से अधिक शिक्षाकर्मी अध्यापक
कार्यरत है। इसके अलाव भी राजस्व, स्वास्थ, राजस्थान पुलिस, वन विभाग, पंचायत राज विभाग
में सहरिया समुदाय के युवा कार्यरत है।
इसी नवाचार की कड़ी में छोटे छोटे बालक बालिकाओं के लिए जुलाई माह से शिक्षा के क्षेत्र में नयी
पहल करते हुए प्ले स्कूल मामोनी की शुरुआत की गयी । इसके पीछे एक ही उद्देश्य है कि आदिवासी
बच्चो को खेलने के लिए एक अच्छा माहौल तैयार हो सके । और स्कूल में नामंकन करवाने से पूर्व
ही बच्चो को प्राथमिकी ज्ञान हो जाये । इसके लिए स्कूल में बच्चों के मनोरंजन के लिए कई प्रकार के स्पोटर्स, चित्रकला, खिलौने, म्यूजिकल गाय, खरगोश सहित कई प्रकार की सामग्री इस प्ले
स्कूल में |
बच्चों को खेलने के लिए मिल रही है। प्ले स्कूल मामोनी में अधिकांश बच्चे सहरिया समुदाय के
आते हैं। संकल्प सोसायटी के सचिव महेश जी बिंदल जो आदिवासी क्षेत्र में माड़ साहब के नाम से
जाने जाते है | इस प्ले स्कूल का मूल उद्देश्य छोटे छोटे बच्चो का अच्छा वातावरण तैयार करने के
लिए खोला गया है । यह सब चीजें सरकारी स्कूल में नही होने के कारण बच्चे खेलो के माध्यम से
सीखने से वंचित रह जाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए नवाचार किया है । प्ले स्
में रोजाना
30 से 40 बच्चे आते है । जो खेल के साथ साथ नयी टेक्नोलॉजी की शिक्षा भी ग्रहण कर रहे है ।
इसके लिए संकल्प के अनुभवी महिला कार्यकर्ताओं द्वारा बच्चो से गतिविधिया करवाई जा रही है ।
वही उनको गतिविधि के माध्यम से शिक्षा से भी जोड़ा जा रहा है ताकि बच्चे अच्छे संस्कारवान बन
सके । अभी संकल्प ने शुरुआत की है आने वाले समय मे यह स्कूल क्षेत्र में अलग ही पहचान बना
लेगा |
आदिवासी क्षेत्र में प्ले स्कूल का यह पहला प्रयोग है। प्ले स्कूल की शुरुआत प्रार्थना सभा से की जाती है।
इसके बाद ढोलक के साथ सामूहिक रूप से गीत गाये जाते है जैसे “चलेगी थैले में पट्टी बजेगी शाला की
छँटी” “हमारे बाबा मोटर गाड़ी चलाये” टन टन घँटी की आवाज बुला रही पढ़ने लांगुरिया” इस स्कूल का
समय दो घण्टे का है । इस दो घण्टे के समय में बच्चो को योग, केरम, पजल्स, ब्लॉक, खेल, बैडमिंटन
आदि से जोड़ा गया है। स्कूल में हर दिन नयी गतिविधि आने वाले बच्चो से करवायी जाती है। यही नही
बच्चो को प्राथमिक शिक्षा का ज्ञान भी दिया जा रहा है जैसे हिंदी वर्णमाला, इंगलिश
अल्फाबेट, इमला, गणित के सवाल, शब्दावली, गिनती, पहाड़े का ज्ञान भी दिया जा रहा है । इसके
साथ साथ बच्चो को प्ले स्कूल में कम्प्यूटर शिक्षा से जोड़ा जा रहा है। जिसमे बच्चे कम्प्यूटर पर
पेंटिंग, टाइपिंग, कलर भरना आदि सीख रहे है । यही नही बच्चो को कई प्रकार की आकृतिया के
माध्यम से शिक्षा दी जा रही है। बच्चों को “तोता तोता चाल बदल” मछली जाल, नीर तीर, भूरी भैस,
शेर बकरी, काना फुंसी, छुक छुक चली रेल आदि खेल भी खिलाये जाते हैं। हालांकि शिक्षा के क्षेत्र
में संकल्प के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है । इस क्षेत्र में गांव गांव में दूर दूर तक शिक्षा
के प्रति जागरूकता लाने के लिए संकल्प द्वारा पूर्व में भी रात्रि शालाए चलाई गयी थी । इसी का
परिणाम है की आज कई सरकारी विभागों में सहरिया समुदाय के बालक बालिकाएं पद स्थापित है।
और दिनों दिन शिक्षा के प्रति जागरूक हो रहे है ।
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